Friday 10 March 2017

ना कर सके दुआ..ना कर सके वफ़ा...वादों को निभाने की कोशिश मे तुम  हम रहे दूर दूर,ज़ुदा ज़ुदा ---

तन्हाई ने कहा एक मोड पे,यह ज़िन्दगी तो है बेवफा बेवफा---ना कर यकीं इस पे,क्या पता कब हो

जाये यह खफा खफा---मुहब्बत की रंगी शाम पे कभी तुम कहाँ,कभी हम कहाँ..बरसता रहा यह पानी

मिलने के लिए हुस्न मिटता रहा,और इश्क होता रहा बस धुंआ धुंआ----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...