Saturday 4 March 2017

गुजरती हवाओ ने जो छुआ आज मुझ को,तेरी मौजूदगी का अहसास  हो आया---कदम चलते रहे और

तेरा  मेरे साथ चलने का वो वादा याद हो आया---ऐसा नहीं कि ज़िया नहीं इस ज़िन्दगी को मैंने,पर हर

सांस के साथ तेरे साथ गुजरा वो ज़माना याद हो आया---कंगन नहीं,पायल नहीं,सिंगार का आलम नहीं

सादगी मे लिपटा..आज भी तेरा मुझे शोख नज़रो से देखने का वो वक़्त याद हो आया----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...