Friday 3 February 2017

आंखे नम ना कर कि ज़िन्दगी फिर न मिल पाए गी..टूट के इतना भी ना चाह मुझ को कि सांसे बिखर

ना पाए गी..चूड़ियो की खनक ताग़ीद करती है कि आ अब बहक ले ज़रा,मौसम यह प्यार का फिर लौट

के ना आए गा....हर वह छोटी सी ख़ुशी ज़ी ले संग मेरे, जो मेरी तेरी राहो को दूर तक साथ ले जाये गी

यह तक़दीर भी अजब शै है जानम,कभी देती है ख़ुशी तो किसी रोज़ झटके से फ़ना भी हो जाये गी .....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...