मेरी मुहब्बत मे जो घुला तेरी मुहब्बत का नशा...तेरी चाहत से बना जो रिश्ता यह मेरा...घुटन के
माहौल से दूर,तेरे सकून का हल्का सा नशा...डरते डरते जीना,घबरा कर रातो को उठ जाना...तन्हाई
मे फिर सो ना पाना..जागते जागते तुझे याद करना और यू ही सुबह का हो जाना...उस बुरे वक़्त से
दूर,तेरे संग जीने का यह अधूरा सा खवाब...तेरे साथ से बंधा मेरा आज...यही है मेरी मुहब्बत मे घुला
तेरी ही मुहब्बत का नशा----
माहौल से दूर,तेरे सकून का हल्का सा नशा...डरते डरते जीना,घबरा कर रातो को उठ जाना...तन्हाई
मे फिर सो ना पाना..जागते जागते तुझे याद करना और यू ही सुबह का हो जाना...उस बुरे वक़्त से
दूर,तेरे संग जीने का यह अधूरा सा खवाब...तेरे साथ से बंधा मेरा आज...यही है मेरी मुहब्बत मे घुला
तेरी ही मुहब्बत का नशा----