Wednesday 18 January 2017

मेरी मुहब्बत मे जो घुला तेरी मुहब्बत का नशा...तेरी चाहत से बना जो रिश्ता यह मेरा...घुटन के

माहौल से दूर,तेरे सकून का हल्का सा नशा...डरते डरते जीना,घबरा कर रातो को उठ जाना...तन्हाई

मे फिर सो ना पाना..जागते जागते तुझे याद करना और यू ही सुबह का हो जाना...उस बुरे वक़्त से

दूर,तेरे संग जीने का यह अधूरा सा खवाब...तेरे साथ से बंधा मेरा आज...यही है मेरी मुहब्बत मे घुला

तेरी ही मुहब्बत का नशा----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...