Friday 27 January 2017

कल लौट जाओ गे,इस डर से रात भर तेरे सीने से लग कर बहुत रोए है----उम्र भर के लिए तन्हा रह

जाये गे,यह सोच कर रात भर तुझ से लिपट कर जागे है----तेरी नींद मे कही खलल ना हो,इस डर से

कंगन पायल सिराहने रख के बेपरवाह जागे है---निहारते रहे है हर लम्हा तुझे कि फिर यह लम्हे कभी

ना मिल पाए गे---जाओ लौट जाओ अपनी दुनिया मे कि हम ताउम्र तेरी इबादत मे तेरी ही खुशियो

के लिए तिल तिल खुद को गलाते जाये गे-----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...