Friday 13 January 2017

चल आ...दूर बहुत दूर कही चलते है इस दुनिया से --बेबसी का जहा ना आलम हो ना दर्द की तन्हाई

हो --जहा सुबह तेरी मर्ज़ी से हो और मेरी शाम ढले तेरी बाहों मे--ना पहरा हो ज़माने का,ना रंजिश हो

बेगानो की --तेरी बाहों मे सो जाऊ,उम्र भर के लिए खो जाऊ--किस्मत की लकीरो मे तू हो या ना हो,पर

तुझे हासिल मैं कर जाऊ--प्यार के इस जहाँ मे आ चलते है,दूर बहुत ही दूर---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...