Friday 13 January 2017

रात भर जागते रहे..जागते ही रहे--कुछ लम्हो की याद मे..बस तुझी को याद करते रहे..करते ही  रहे--

इक हलकी सी आहट के लिए ..आँखों से बची नींद को बर्बाद करते रहे..करते ही रहे--चाँद को देखा तो

चांदनी की तड़प का अहसास करते रहे..बस करते ही रहे--सुबह कब होगी..बस इसी इंतज़ार मे रौशनी

की राह तकते रहे..हाँ तकते ही रहे--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...