कहो ना कहो..सुनो ना सुनो...तेरे वादे से जुड़ी हर वो शाम मेरी है...रेत पे घरौदा बनाया जो हम ने,
उस की हर याद आज भी तेरी और मेरी है....कभी बिखरे सपने तो कभी आसमाँ रंगीन हो गया...यूं
मुस्कुराये कभी तो कभी आँखों ने सैलाब बहा दिया...टुकड़े टुकड़े जिए कभी ज़िन्दगी,तो कभी साथ
जीने के लिए उम्र भर का वादा कर लिया...जो भी किया,उस की गवाही के लिए यह तनहा रात तेरी भी
है,मेरी भी है....
उस की हर याद आज भी तेरी और मेरी है....कभी बिखरे सपने तो कभी आसमाँ रंगीन हो गया...यूं
मुस्कुराये कभी तो कभी आँखों ने सैलाब बहा दिया...टुकड़े टुकड़े जिए कभी ज़िन्दगी,तो कभी साथ
जीने के लिए उम्र भर का वादा कर लिया...जो भी किया,उस की गवाही के लिए यह तनहा रात तेरी भी
है,मेरी भी है....