तुझे चाहा और खवाब मेरे सजने लगे--तेरी बाहों मे हम है और शर्म से गाल सुलगने लगे---तूने देखा
भरपूर नज़रो से मुझे और हम दिल से तेरे होने लगे---किसी आहट ने डराया हमे और सिमट कर सीने
से तेरे लगने लगे ---रेत पे महल जो बनाया हम ने..हकीकत मे तेरे संग तेरे ही घर बस गए---यह तेरे
प्यार की शोखी है कि शहंशाह हो तुम और हम तेरी मुमताज़ बनने लगे---
भरपूर नज़रो से मुझे और हम दिल से तेरे होने लगे---किसी आहट ने डराया हमे और सिमट कर सीने
से तेरे लगने लगे ---रेत पे महल जो बनाया हम ने..हकीकत मे तेरे संग तेरे ही घर बस गए---यह तेरे
प्यार की शोखी है कि शहंशाह हो तुम और हम तेरी मुमताज़ बनने लगे---