Tuesday 17 January 2017

जनून तेरे प्यार का,देख ना कहाँ ले आया है---इस दुनिया से बेखबर,तेरी ही बाहो मे खीच लाया है --

कुदरत के इस तोहफे पे,मासूमियत से भरे इस चेहरे पे और पास खींच लाया है--रौशन करने के लिए

तेरी राहो को,बहुत दूर से तेरे पास ले आया है--देखते है आईने मे जब खुद को,तेरा ही अक्स खुद पे

नज़र आया है--ज़नून-इश्क़ ही तो है,जो तेरे लिए मुझे खुद से भी दूर,बहुत दूर खींच लाया है----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...