जनून तेरे प्यार का,देख ना कहाँ ले आया है---इस दुनिया से बेखबर,तेरी ही बाहो मे खीच लाया है --
कुदरत के इस तोहफे पे,मासूमियत से भरे इस चेहरे पे और पास खींच लाया है--रौशन करने के लिए
तेरी राहो को,बहुत दूर से तेरे पास ले आया है--देखते है आईने मे जब खुद को,तेरा ही अक्स खुद पे
नज़र आया है--ज़नून-इश्क़ ही तो है,जो तेरे लिए मुझे खुद से भी दूर,बहुत दूर खींच लाया है----
कुदरत के इस तोहफे पे,मासूमियत से भरे इस चेहरे पे और पास खींच लाया है--रौशन करने के लिए
तेरी राहो को,बहुत दूर से तेरे पास ले आया है--देखते है आईने मे जब खुद को,तेरा ही अक्स खुद पे
नज़र आया है--ज़नून-इश्क़ ही तो है,जो तेरे लिए मुझे खुद से भी दूर,बहुत दूर खींच लाया है----