हवा की सरसराहट से,क्यों डर रहे है हम..बादलों की गरगराहट से,क्यों बहक रहे है हम..भीग रहा
है यह सर्द मौसम,तो क्यों सिहर रहे है हम..ज़ुल्फे जो बिखरी है,अँधेरे से बस डर रहे है हम..तूने अभी
छुआ भी नहीं,फिर भी तेरे नाम से क्यों पिघल रहे है हम..खवाबो मे तेरे आने से ही,बस हो गए है तेरे
हम...
है यह सर्द मौसम,तो क्यों सिहर रहे है हम..ज़ुल्फे जो बिखरी है,अँधेरे से बस डर रहे है हम..तूने अभी
छुआ भी नहीं,फिर भी तेरे नाम से क्यों पिघल रहे है हम..खवाबो मे तेरे आने से ही,बस हो गए है तेरे
हम...