यह ज़िन्दगी बेवफा भी हो जाए अगर...तेरा साथ तब भी छोड़ ना पाए गे---गुजरते रहे गे साल कितने...
पर तेरी राहो को रौशन करने फिर भी आ जाए गे ---प्यार सिर्फ ज़िस्म का होता तो शायद साथ छूट
जाता..रूह से रूह को जो मिला दे..तेरी इबादत मे जो खुद को रुला दे..तेरे टूटे सपनो को जो फिर से
सजा दे ...तेरी वीरान राहो के लिए जो खुद को भुला दे..यह वो मुकम्मल प्यार है..जो तेरी रूह के लिए
खुद की रूह को भी भुला दे----
पर तेरी राहो को रौशन करने फिर भी आ जाए गे ---प्यार सिर्फ ज़िस्म का होता तो शायद साथ छूट
जाता..रूह से रूह को जो मिला दे..तेरी इबादत मे जो खुद को रुला दे..तेरे टूटे सपनो को जो फिर से
सजा दे ...तेरी वीरान राहो के लिए जो खुद को भुला दे..यह वो मुकम्मल प्यार है..जो तेरी रूह के लिए
खुद की रूह को भी भुला दे----