यह लब जो खुले लफ्ज़ कहने के लिए--तेरे लबो ने उन्हें क्यों थाम लिया---चूड़ियो की खनक मे जो
धड़का दिल..तेरे दिल ने उसे क्यों बहकने दिया---अल्फ़ाज़ पूरे भी ना कर पाए..तेरी ख़ामोशी ने हर बार
बाहो मे बस बांध लिया---इश्क मेहरबाँ क्यों है आज हम पे...हुस्न के चरचे मे तुझ से ये भी ना पूछ
पाए---खुल रहे है ये घने गेसू..अब बादलो की गरगराहट ने इन्हे क्यों संवरने दिया---
धड़का दिल..तेरे दिल ने उसे क्यों बहकने दिया---अल्फ़ाज़ पूरे भी ना कर पाए..तेरी ख़ामोशी ने हर बार
बाहो मे बस बांध लिया---इश्क मेहरबाँ क्यों है आज हम पे...हुस्न के चरचे मे तुझ से ये भी ना पूछ
पाए---खुल रहे है ये घने गेसू..अब बादलो की गरगराहट ने इन्हे क्यों संवरने दिया---