Friday 13 January 2017

वो तेरा हँसना..मुझे बाहो मे भर लेना---हकीकत की शाम थी या मेरे मन का धुंआ धुंआ--बेपरवाह सी

लटों को तेरे हाथो का वो छूना,कोई दिल्लगी रही या दिल की लगी थी--खोई खोई सी तेरी वो नज़रे --

वो तेरी शायराना सी अदा--मेरी ही प्यास थी या तेरी मदहोशी की सजा--बात कुछ तो थी,पर कुछ भी

नहीं--लबो पे आने सी पहले,ओस की बूंदो की तरह बस ठहरी ठहरी ---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...