वो तेरा हँसना..मुझे बाहो मे भर लेना---हकीकत की शाम थी या मेरे मन का धुंआ धुंआ--बेपरवाह सी
लटों को तेरे हाथो का वो छूना,कोई दिल्लगी रही या दिल की लगी थी--खोई खोई सी तेरी वो नज़रे --
वो तेरी शायराना सी अदा--मेरी ही प्यास थी या तेरी मदहोशी की सजा--बात कुछ तो थी,पर कुछ भी
नहीं--लबो पे आने सी पहले,ओस की बूंदो की तरह बस ठहरी ठहरी ---
लटों को तेरे हाथो का वो छूना,कोई दिल्लगी रही या दिल की लगी थी--खोई खोई सी तेरी वो नज़रे --
वो तेरी शायराना सी अदा--मेरी ही प्यास थी या तेरी मदहोशी की सजा--बात कुछ तो थी,पर कुछ भी
नहीं--लबो पे आने सी पहले,ओस की बूंदो की तरह बस ठहरी ठहरी ---