लफ्ज़ जो निकले लब से तेरे...एक दुआ बन गए--इन्ही दुआओ मे डूबे हम तेरी ही आरज़ू बन गए---
फलसफा प्यार का यह कैसा है,चाँद तो नहीं है...पर तेरी यह चांदनी आज भी प्यार मे तेरे पागल है---
आँखों के इस शराबी हुस्न पे,कभी तुम मिटे...कभी हम मरे---आगोश मे तेरी आने के लिए,सुहानी रात
के इंतज़ार मे,कभी हम सुलगे..तो कभी तुम तपते रहे---इश्क़ के इस सफर मे आखिर तुम मेरे बन गए--
फलसफा प्यार का यह कैसा है,चाँद तो नहीं है...पर तेरी यह चांदनी आज भी प्यार मे तेरे पागल है---
आँखों के इस शराबी हुस्न पे,कभी तुम मिटे...कभी हम मरे---आगोश मे तेरी आने के लिए,सुहानी रात
के इंतज़ार मे,कभी हम सुलगे..तो कभी तुम तपते रहे---इश्क़ के इस सफर मे आखिर तुम मेरे बन गए--