बहुत खूब ए ज़िन्दगी..तूने फिर मुझे सपनो के संसार मे उलझा दिया....बेवजह फिर से पन्नो के हिसाब
मे बसा दिया...लफ्ज़ जो बंद थे,दिल के दरवाजे मे..सपने जो रुके थे,पलकों के इस मयखाने मे....ना
चाहा था कि सब को बेनकाब करे...कदम दर कदम चले,ना किसी को साथ ले ...स्याही जिस जिस ने
बिखेरी है मेरे वज़ूद,मेरे अल्फ़ाज़ पे...पन्नो की कहानी मे उलझ जाये गे नाम सभी गुनाहगार के....
मे बसा दिया...लफ्ज़ जो बंद थे,दिल के दरवाजे मे..सपने जो रुके थे,पलकों के इस मयखाने मे....ना
चाहा था कि सब को बेनकाब करे...कदम दर कदम चले,ना किसी को साथ ले ...स्याही जिस जिस ने
बिखेरी है मेरे वज़ूद,मेरे अल्फ़ाज़ पे...पन्नो की कहानी मे उलझ जाये गे नाम सभी गुनाहगार के....