लबो की ख़ामोशी को तोड़ने वाले...हर बात पे मेरी खफा होने वाले----टूटे साज़ को एक नई आवाज़
देने वाले...सितारों से दामन भरने का वादा करने वाले------कभी महजबी तो कभी शहज़ादी का नायाब
सा खिताब देने वाले..कौन हो तुम----बदलता है यह मौसम,किसी लापरवाह आशिक की तरह---टूट के
न चाह मुझे किसी शहंशाह की तरह...न बन पाऊ गी मुमताज़ तेरी,कि सांसे तो अटकी है किसी और
शहंशाह के ताजमहल की तरह----
देने वाले...सितारों से दामन भरने का वादा करने वाले------कभी महजबी तो कभी शहज़ादी का नायाब
सा खिताब देने वाले..कौन हो तुम----बदलता है यह मौसम,किसी लापरवाह आशिक की तरह---टूट के
न चाह मुझे किसी शहंशाह की तरह...न बन पाऊ गी मुमताज़ तेरी,कि सांसे तो अटकी है किसी और
शहंशाह के ताजमहल की तरह----