दामन जो हुआ खाली,कभी फिर भर नहीं पाए....सिसकते रहे उम्र भर, पर तेरी जगह फिर किसी
को कभी दे ही नहीं पाए...हुस्न और इश्क का वो सुलगता तूफा,यादो के उन पन्नो पे लिखते चले
गए..खनकती हुई वो हँसी,झंकार वो पायल की...न सुनने को तैयार,नटखट सी वो जवानी की
पुकार...वो लम्हे थे या फिर रिश्तो का ताजमहल,समझ कर भी कभी समझ ही नहीं पाए....
को कभी दे ही नहीं पाए...हुस्न और इश्क का वो सुलगता तूफा,यादो के उन पन्नो पे लिखते चले
गए..खनकती हुई वो हँसी,झंकार वो पायल की...न सुनने को तैयार,नटखट सी वो जवानी की
पुकार...वो लम्हे थे या फिर रिश्तो का ताजमहल,समझ कर भी कभी समझ ही नहीं पाए....