देते रहे आवाज़..जाती रही नज़र जहा तक---ज़ुल्फो को बिखराया वहां तक..कि अँधेरा हो जाये जहा तक-
खामोश ज़िन्दगी को आज फिर कह रहे है..कि फ़िज़ा मे लौट आओ---बहारे कभी तो आए गी,यह उम्मीद
रखे गे आखिरी सांस तक---तेरे ही कदमो क़ी चाप आज भी सुनाई देती है मुझे..रातो क़ी तन्हाई आज भी
बुलाती ही तुझे---सजे गे सवरे गे,दुल्हन के लिबास मे करे गे इंतज़ार...साँसे इज़ाज़त दे गी जहा तक---
खामोश ज़िन्दगी को आज फिर कह रहे है..कि फ़िज़ा मे लौट आओ---बहारे कभी तो आए गी,यह उम्मीद
रखे गे आखिरी सांस तक---तेरे ही कदमो क़ी चाप आज भी सुनाई देती है मुझे..रातो क़ी तन्हाई आज भी
बुलाती ही तुझे---सजे गे सवरे गे,दुल्हन के लिबास मे करे गे इंतज़ार...साँसे इज़ाज़त दे गी जहा तक---