यूं तो रात गुजर ही गई तन्हाई मे.....सपने हज़ारो देख डालें,अधखुली इन आँखों से....उठे सुबह तो
नम थी यह आंखे... आईना जो देखा खुद पे प्यार आ गया...यह सोच कर क़ि आज भी तू ही रहता
है मेरी रातो की तन्हाई मे....यह जिस्म,यह जान ..आज भी है तेरे कदमो क़ी परछाई मे...दुनिया
रहे या न रहे..हम तुम आज भी है...सपनो क़ी उन्ही गहराई मे....
नम थी यह आंखे... आईना जो देखा खुद पे प्यार आ गया...यह सोच कर क़ि आज भी तू ही रहता
है मेरी रातो की तन्हाई मे....यह जिस्म,यह जान ..आज भी है तेरे कदमो क़ी परछाई मे...दुनिया
रहे या न रहे..हम तुम आज भी है...सपनो क़ी उन्ही गहराई मे....