Friday 4 November 2016

मैं कुछ लिखू या न लिखू...मेरी याद हर जगह कायम है....मेरे हर लफ्ज़ की ताकत दुनिया मे सब को

वाकिफ है...छिपता है चाँद जब जब बादलों के उस झुरमुट मे,इंतज़ार फिर भी होता है उस के दीदार

का सब को बेसब्री से...कही कोई  शमा जलती है अँधेरे के उस कोने मे..रोशन जहाँ बेशक न हो,पर

सुलगती है एक याद फिर भी चाहने वालो के सीने मे...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...