कभी टूटे सपने,कभी टूटे अरमाँ...टूटा कभी मेरे दिल का जहाँ....यह किस्मत क्यों हो जाती है
बार बार धुंआ ही धुंआ ....ना अब रो पाते है,ना इस दुनिया को खुद की दासताँ सुना पाते है...
कौन है यहाँ जो दर्द मेरा बॉट पाए गा,कौन है जो बिखरी कहानी को पूरा कर पाए गा...छू लेना
चाहते है आसमाँ की बुंलदियो को,पर यह साँसे रुक ना जाये बेवजह यूं कभी ना कभी ..सितारों के
झुरमुट मे यह अधूरा सा चाँद ना छिपता है,ना नज़र आता है किसी तमन्ना की तरह...
बार बार धुंआ ही धुंआ ....ना अब रो पाते है,ना इस दुनिया को खुद की दासताँ सुना पाते है...
कौन है यहाँ जो दर्द मेरा बॉट पाए गा,कौन है जो बिखरी कहानी को पूरा कर पाए गा...छू लेना
चाहते है आसमाँ की बुंलदियो को,पर यह साँसे रुक ना जाये बेवजह यूं कभी ना कभी ..सितारों के
झुरमुट मे यह अधूरा सा चाँद ना छिपता है,ना नज़र आता है किसी तमन्ना की तरह...