Saturday 1 October 2016

दुख,दर्द,परेशानिया..और इस से जुड़ा एक खास शब्द सकूंन..दोस्तों,जीवन के पथरीले रास्तो पे चलते चलते एक मोड  जरूर आता है जहा एक छोटी संकरी पगडण्डी नज़र आती है..बस इस संकरी पगडण्डी पे सावधानी से चलिए..यक़ीनन सब दुःख भूल जाये गे..डर कर मत चले..पथरीली रहो से ज्यादा सुरक्षित यही पगडण्डी है--मौत और ज़िन्दगी दोनों तरफ है..दोस्तों जिस दिन आप अपने मन से मौत के ख़ौफ़ को पूरी तरह निकल दे गे तभी आप इस जीवन को सकून से जी पाए गे..जो लोग आप को प्यार नहीं करते,पसंद भी नहीं करते..उन की परवाह मत कीजिये..है खुल कर हँसे,खुल कर जिए,भरपूर जिए..उन के साथ जो आप की कदर करते है,आप को पसंद करते है और प्यार भी करते है..हर किसी को खुश करने के चक्कर मे खुद को बर्बाद मत करे..खास कर तब जब आप जीवन के उस मोड पर आ गए है,जहा जीवन का आखिरी सफर बचा है..अकेले रह गए है या फिर साथी के साथ है..अब जरूर खुल कर जिए..किसी का बुरा मत सोचे...शांत रहे---बहार से ही नहीं,अंदर से भी..सकून आप के साथ साथ चले गा...शुभ प्रभात दोस्तों--मंगल कामनाये....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...