बार बार ताकीद न कर क़ि हर रस्म,हर रिवाज़ को तोड़..तेरी दुनिया को बसाने आ जाए...तेरे जहाँ को
बसा दे,तेरे खवाबो को इक रंगत दे दे...पाँव मे बजती रहे पायल,चूड़ियो की खनक से तेरी राते महक
जाए..कुछ खलिश सी है इस मौसम मे..कुछ हवा भी है आवारा सी..बादल भी बस तैयार है बूंदो को
रुखसत करने के लिए..और हम भी तैयार है तेरी इस ताकीद को सलाम बजाने के लिए...
बसा दे,तेरे खवाबो को इक रंगत दे दे...पाँव मे बजती रहे पायल,चूड़ियो की खनक से तेरी राते महक
जाए..कुछ खलिश सी है इस मौसम मे..कुछ हवा भी है आवारा सी..बादल भी बस तैयार है बूंदो को
रुखसत करने के लिए..और हम भी तैयार है तेरी इस ताकीद को सलाम बजाने के लिए...