Wednesday 28 September 2016

आसमाँ को छू ले या पायल की खनक से दुनिया को उठा दे..या फिर सूरज से कहे क़ि सुबह को अब

जल्दी से रोशन कर दे..देख ए ज़माने तूने गिराया था मुझे हद से हद तक जलालत क़ी तरह.मेरी साँसों

को दबोचा था किसी मुर्दे क़ी तरह..कभी न उठ पाए गे किसी पत्थर क़ी तरह..ताउम्र निभाए गे गुलामी

तेरी,रोये गे मर जाये गे,किसी बेवफा आशिक क़ी तरह..ए ज़माने फिर भी करे गे शुक्रिया तेरा ..जो मिला

है मुकद्दर से,उस का मान रखे गे हमेशा..पाँव ज़मी पे होंगे पर बुलंदियों से आसमाँ को छू जाये गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...