हाँ...बहुत बहुत उदास है आज..हर सांस का बोझ लिए मरने को तैयार है हम..गद्दारी का जामा पहने
लोगो के चेहरे से,नफरत करते है हम...वही जिस ने दुलार से महका दिया,उस के लिए दुआओ का
खज़ाना लुटा देते है हम...बहुत ही बेपरवाह हो चुके है रश्क की रंजिशों से अब..खुद से खुद के पास
लौट आये है अब...सांसो को दफ़न करने के लिए,बेमौत मरने को तैयार है हम...
लोगो के चेहरे से,नफरत करते है हम...वही जिस ने दुलार से महका दिया,उस के लिए दुआओ का
खज़ाना लुटा देते है हम...बहुत ही बेपरवाह हो चुके है रश्क की रंजिशों से अब..खुद से खुद के पास
लौट आये है अब...सांसो को दफ़न करने के लिए,बेमौत मरने को तैयार है हम...