Saturday 24 September 2016

राज़ खोले धीरे धीरे..तेरी पनाहो मे आ कर..लब थरथराये तेरी आगोश मे आ कर..दिल ने धड़कना सीखा

पहली बार...तेरी बाहो मे आ कर..नजरे  झुकी,पलके उठी...पहली ही बार तेरी मुहब्बत पा कर...पाँव अब

ज़मी पे टिकते ही नहीं,ख़ुशी की इतनी सौगात पा कर..खिल गया है यह चेहरा तेरे प्यार की महक पा कर.

दौलत की चाह नहीं तुझ से,की बेशुमार प्यार की दौलत मिली है पहली बार तेरी दुनिया मे आ कर..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...