मेरी खूबसूरती की तारीफ इतनी भी न करो क़ि लोग तुम्हे शायर कहने लगे...लिखो न नज़्म कोई
ऐसी क़ि दुनिया तुम्हे दीवाना ही समझने लगे..आँखों क़ी गहराई पे जान इतनी भी ना लुटाओ क़ि
बदलती नज़रो का ईमान ही ना डोल जाये...सर से पाँव तक तेरे ही लफ़्ज़ों के शिकंजे मे है..कहाँ जाये
किधर जाये...ऐसा ना हो क़ि ज़माने के धोखे के शिकार ही हो जाये...
ऐसी क़ि दुनिया तुम्हे दीवाना ही समझने लगे..आँखों क़ी गहराई पे जान इतनी भी ना लुटाओ क़ि
बदलती नज़रो का ईमान ही ना डोल जाये...सर से पाँव तक तेरे ही लफ़्ज़ों के शिकंजे मे है..कहाँ जाये
किधर जाये...ऐसा ना हो क़ि ज़माने के धोखे के शिकार ही हो जाये...