बहुत कुछ जो था ऐसा..कह नही पाए है--छलकेे जो अशक आॅखो से..पूरी तरह बह ना
पाए है--दरद की इॅतिहा रही इतनी..सॅभल कर भी सॅभल ना पाए है--यादे जो टीस देेती
रही..किसी को ना बता पाए है--यह आॅसू,यह आहे..दरद का बहता हुआ सैलाब..यादो की
तॅॅॅहाई...कागज के पननो पे लिख कर,सब के लिए पैगामे-दरद बन कर छोड जाए गे---
पाए है--दरद की इॅतिहा रही इतनी..सॅभल कर भी सॅभल ना पाए है--यादे जो टीस देेती
रही..किसी को ना बता पाए है--यह आॅसू,यह आहे..दरद का बहता हुआ सैलाब..यादो की
तॅॅॅहाई...कागज के पननो पे लिख कर,सब के लिए पैगामे-दरद बन कर छोड जाए गे---