Friday 23 September 2016

कहा कैसे कितनी दूर चले आये..तेरे बिना...हर याद हर सांस लेते रहे बस तेरे बिना..बस यही रहा

जीवन क़ि लम्हो को,सालो को बस काटना है अब तेरे बिना...कभी रोये,कभी ज़ार ज़ार आसुओ के

सैलाब मे  खुद ही खुद मे बस बहते रहे,बहते रहे..न कह सके दर्द अपना,न ज़ी सके किसी के साथ इतना..

तेरे बिना यहाँ अपना कोई नहीं,कोई भी तो नहीं..ज़ी रहे है अकेले तनहा इन रहो पे,चल रहे है अकेले बस

वीरान रहो पे..एक दिन तेरे पास लौट आये गे..सकून से तुझे सब कुछ बता पाए गे..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...