वकत को गुजरने दिया हम नेे..आजाद पॅछी की तरह--ना दरद बताए अपने,ना किसी
तकलीफ का इजहाऱ किया हम ने--मासूम सी हॅसी चेहरे पे लिए,कदम दर कदम चलते
रहे--हाथो की लकीरो मे साथ उस का पाने के लिए,तेरी मेहरबानियो को भी नही चुना
हम ने--किसमत की दासताॅ का शिकवा कहे कयू कर,कि खुद को भी आजाद कर दिया
हम ने उडते पॅॅछी की तरह---
तकलीफ का इजहाऱ किया हम ने--मासूम सी हॅसी चेहरे पे लिए,कदम दर कदम चलते
रहे--हाथो की लकीरो मे साथ उस का पाने के लिए,तेरी मेहरबानियो को भी नही चुना
हम ने--किसमत की दासताॅ का शिकवा कहे कयू कर,कि खुद को भी आजाद कर दिया
हम ने उडते पॅॅछी की तरह---