Saturday 27 August 2016

वकत को गुजरने दिया हम नेे..आजाद पॅछी की तरह--ना दरद बताए अपने,ना किसी

तकलीफ का इजहाऱ किया हम ने--मासूम सी हॅसी चेहरे पे लिए,कदम दर कदम चलते

रहे--हाथो की लकीरो मे साथ उस का पाने के  लिए,तेरी मेहरबानियो को भी नही चुना

हम ने--किसमत की दासताॅ का शिकवा कहे कयू कर,कि खुद को भी आजाद कर दिया

हम ने उडते पॅॅछी की तरह---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...