Monday 1 August 2016

पलके जो भीगी..बस भीगती चली गई--तूने जो बाहो मे भरा..आॅखे छलकती चली गई--

इतने इॅॅतजाऱ के बाद तेरा आना..धडकने बढा गया--गहरी साॅसे लेना फिर खुद मे खुद

को समेट लेना..जैसे रिशते का एहसास दिला गया--लौट जाओ गे तुम मुझे छोड कर..

इसी बेबसी मे मन फिर से घबरा गया--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...