उदासी कहती है कोई नही तेरा...बरसता पानी कहता है बहा दे नीर,कि अब कोई नही
अपना...धडकने जुबाॅ दे रही है,आगे सफर पे चलने के लिए...कदम जो भरे थे थकावट
से इतना,वो जिॅदगी की तेज रफतार पे अब राजी है चलने केे लिए...ना अब आगे है कोई
ना पीछे मुडना है कभी...बस मॅजिल को पाने के लिए चलना है....चलना है अभी....
अपना...धडकने जुबाॅ दे रही है,आगे सफर पे चलने के लिए...कदम जो भरे थे थकावट
से इतना,वो जिॅदगी की तेज रफतार पे अब राजी है चलने केे लिए...ना अब आगे है कोई
ना पीछे मुडना है कभी...बस मॅजिल को पाने के लिए चलना है....चलना है अभी....