Saturday 30 July 2016

कहर है इस मौसम का..या तेरी तूफानी अदाओ की सजा--दिल के अरमान बने है फिर

हवाओ मे बिखरने की वजह--यह गेसू है या घने बादलो का अॅधेेरा,यह चेहरा है तेरा या

मखमली धूप का साया--निखरा निखरा सा तेरा बदन,हो जैसे बरसती ओस की बूॅदो की

खता--तुझे छू लेे या इबादत के पननो मे छुपा दे..बता दे तेरी कया हैै ऱजा---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...