Wednesday 27 July 2016

बरसो बाद भी..कयू मुहबबत तेरी दिल के दरवाजे पे दसतक सी दे जाती है--उन तमाम

यादो को आज भी सीने मे छुपाए..कयूू पलको को भिगो ही जाती है--हॅसते है खिलखिला

कर इस जिॅॅदगी को जीते है..पर तेरे साथ बिताए वो शाही लमहे दरद से दिल को तार

तार कर जाते है--मिलो गे गर किसी मोड पे,तो सवाल पूछे गे...टूटन यह साझेदारी की

कया तुम को भी टीस टीस जाती है--

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...