बरसा आज इतना पानी--कहर बन कर बरसा,पननो पे मेरे--हजारो पननो को भिगोया..
सयाही को गहरी बूॅदो नेे अलविदा कह दिया--लफज जो ढले थे जजबात की तॅहाई मे...
जजबात जो लिखे थे खून की सयाही से--कही था दरद लिखा,कही मुहबबत की कहानी
थी--आगाह करते है ऐ बरसाती मौसम तुझ को,पननो को भिगोया है तुम ने...पर दिल
रूह इबाबत को ना मिटा पाओ गे..महबूब मेरा बसता है यहा,उस की जगह तुम कभी ना
ले पाओ गे---
सयाही को गहरी बूॅदो नेे अलविदा कह दिया--लफज जो ढले थे जजबात की तॅहाई मे...
जजबात जो लिखे थे खून की सयाही से--कही था दरद लिखा,कही मुहबबत की कहानी
थी--आगाह करते है ऐ बरसाती मौसम तुझ को,पननो को भिगोया है तुम ने...पर दिल
रूह इबाबत को ना मिटा पाओ गे..महबूब मेरा बसता है यहा,उस की जगह तुम कभी ना
ले पाओ गे---