Saturday 16 July 2016

तेरा आना जिॅदगी मे मेरी..एक खुशनुुुमा एहसास था---बरसो तेरा घर को महकाना..एक

इबादत..शाही रूतबे का पैगाम था--वो चेहरा,वो आॅखे..वो बेहद मासूम सी तेरी शरारते--

कभी लिपटना,कभी घॅटो मेरी नजऱो से ओझल होना..फिर अचानक गोद मे मेरी सिमट

जाना--तेरी जगह आज भी वैसी है..तेरा वजूद आज भी कायम है--सीने मे आज भी वही

तडप कायम है--हा तू कही गया ही नही,मेरे वजूद-मेरी रूह मे अब भी शामिल है---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...