Sunday 26 June 2016

हर बेताब तमनना की तरह कयू दिल मे उतर गए हो तुम--इक बेमौसम बरसात की

तरह अकसर इन आॅखो से बरस जाते हो तुम--कभी खिलखिलाती हॅसी बन कर मेरे ही

जीवन मे उतर जाते हो तुम--ना याद करना चाहू तुमहे तो भी मेरे खवाबो मे दुआ बन

कर छा जाते हो तुम--अब कहते है शुकरीया हमदम..गुलिसता  बन कर साॅसो मे घुल

गए हो तुम---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...