Thursday 2 June 2016

मुुहबबत नाकाम नही..तेरी मेरी--फिर भी कयू इस जिॅदगी से डर लगता है--बहके है

कदम सॅग साथ तेरे..फिर भी सॅभलने मे कयू डर लगता है--बात बात पे रो देते है..तू है

खफा फिर भी आॅसू पी लेते है--यह रसम है कौन सी..कभी रोते है तो कभी आॅसू ही पी

जाते है--बेवफा नही हो तुम..जानते है--फिर भी तेरे लौटने की इॅतजाऱ करते करते कयू

डर जाते हैै---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...