वादियो मे फैली है खूबसूूरती इतनी..यह आॅखे फिर भी बेवजह कयू भर आई है--चेहरे
का नूर है बरकरार उतना..मन के किसी कोने मे यह उदासी कयू घर कर आई है--कोई
शिकवा नही ऐ जिॅॅॅदगी तुझ से..फिर यह अजनबी सी परेशानी कयू दिल पेे छाई है--घुल
रही है साॅसो मे खुशबू इतनी..फिर भी किस की चाह मे यही साॅसे कयू थम सी आई है--
का नूर है बरकरार उतना..मन के किसी कोने मे यह उदासी कयू घर कर आई है--कोई
शिकवा नही ऐ जिॅॅॅदगी तुझ से..फिर यह अजनबी सी परेशानी कयू दिल पेे छाई है--घुल
रही है साॅसो मे खुशबू इतनी..फिर भी किस की चाह मे यही साॅसे कयू थम सी आई है--