Friday 13 May 2016

निगाहो के जादू से बच कर कहा जाओ गे--पहनाई है पैरो मे बेडिया अब बच कर कहा

जाओ गे--रिशता जो दिया है बाहो का,इन नगमो की गूॅज से कितनी दूर निकल पाओ गे

रौशनी मिलती नही हर किसी को,इशक के इस रूप मे--हम मिले तुम से कभी,चाॅदनी के

सरूर मे--हवाले खुद को कर दिया तेरे..अब बताओ तुम कहा जाओ गे---

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...