सिलसिला जो तेरी बातो का खतम होता,तो मुकामे-मॅजिल को छू लेते--करते ना तुझ
से कोई शिकवा,बस बहारो मे खो जाते--माशाअललाह तेरे यह नखऱे ना सहे होते,तो
यकीकन जनूने-जिॅदगी को पा लेते--बेखबर रहते जो तेरी रूसवाईयो से,कभी हद से भी
जयादा हवा मे ना उडते--अब तो यह आलम है कि तू नही तो मै नही,तेरे बगैर अब यह
साॅसे भी नही ले पाते--
से कोई शिकवा,बस बहारो मे खो जाते--माशाअललाह तेरे यह नखऱे ना सहे होते,तो
यकीकन जनूने-जिॅदगी को पा लेते--बेखबर रहते जो तेरी रूसवाईयो से,कभी हद से भी
जयादा हवा मे ना उडते--अब तो यह आलम है कि तू नही तो मै नही,तेरे बगैर अब यह
साॅसे भी नही ले पाते--