Wednesday 25 May 2016

गुजरती रही यह जिॅदगी,और हम तनहाॅ होते रहे--तेरी हर याद को साथ लिए,हम हर

सॅजीदगी राहो से गुजरते रहे--हर नजऱ के धोखे को,सिरे से नकारते रहे---यह तनहाई

तो बस हमारी है,गैरो को खुद से हजारो कदम दूर रखतेे रहे--सूूरत की मासूमियत पे

हमे कमजोर समझ,दुनिया के नापाक इरादो को हम दूर झटकते रहे----

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...