रात की चादर मे लिपटा,वो रौशन सा सवेरा--बादलो की झुरमुट मेे सिमटता,चाॅद वोही
पयारा पयारा--बिखरी है हवाओ मे मदहोशी की ऱजा..है घनेरी जुलफो की महकती वो
खता--पास आने का कोई बहाना तो बना..खवाबो की चाहतो का कोई ऐसा निशाना तो
बना--टूटे तेरी बाहो मेे..निखरी सुबह को अॅदाजे-मुहबबत तो बना---
पयारा पयारा--बिखरी है हवाओ मे मदहोशी की ऱजा..है घनेरी जुलफो की महकती वो
खता--पास आने का कोई बहाना तो बना..खवाबो की चाहतो का कोई ऐसा निशाना तो
बना--टूटे तेरी बाहो मेे..निखरी सुबह को अॅदाजे-मुहबबत तो बना---