मुददत बाद मिली है फुरसत,तुमहे यह बताने के लिए...वफाए-उलफत की राहो मे बॅधे
थे तुमहे सताने के लिए..दिल को यह शिकायत थी कि तुम किसी और के हो..नजऱो को
इनायत थी कि तुम गैरो के ना हो..कशमकश मे रहे बरसो यू ही बिखरे बिखरे..आज
जब लगे हो बिछुडने हम से तो यह ऱाज खोल रहे है तुमहे सब बताने के लिए...
थे तुमहे सताने के लिए..दिल को यह शिकायत थी कि तुम किसी और के हो..नजऱो को
इनायत थी कि तुम गैरो के ना हो..कशमकश मे रहे बरसो यू ही बिखरे बिखरे..आज
जब लगे हो बिछुडने हम से तो यह ऱाज खोल रहे है तुमहे सब बताने के लिए...