मासूम सी सूरत वो तेरी,किसी फरिशते का एहसास दिला गई--वो निशछल सी पयारी
सी हॅसी,परियो की नगरी मे जैसे खीॅच कर ले गई--इबादत मे खुदा के आगे तेरा झुकना,
मुझे बार बार तेरा होने पे मजबूर करती गई--एक सादा सा जीवन जीने की तेरी यह
कला,मुझे मेरी जिॅदगी मे इॅसा होनेे का खिताब दिलाती गई....दिलाती गई......
सी हॅसी,परियो की नगरी मे जैसे खीॅच कर ले गई--इबादत मे खुदा के आगे तेरा झुकना,
मुझे बार बार तेरा होने पे मजबूर करती गई--एक सादा सा जीवन जीने की तेरी यह
कला,मुझे मेरी जिॅदगी मे इॅसा होनेे का खिताब दिलाती गई....दिलाती गई......