Sunday 8 May 2016

तेरा आना..मुझ से मिल कर फिर चले जाना..मुझ मे अपने पयार का वो एहसास भरना

कितना कहे शुकरीया तुझ को..कितनी वफाए देते रहे तुझ को...रॅग भरे है मेरी रूह मे

तेरी रूह के वजूद ने..कौन समझे गा यहा तेरे मेरे इस पयार को...यह दुनिया है वो जो

चलती साॅसो मे ठुकराती है..फिर रूहे-जशन को कौन पहचाने गा यहा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...