जिॅदगी मे साथ मेरे चलने के लिए..कहते है आप को शुक्रीया--मॅजिल तो दूर दूर तक
कही ना थी..पर साथ देने के लिए शुकरीया--पुुरानी यादो को जेहन मेे समेटेे रूके थेेे वही.
आप ने ठाला जो हमे आज के उजाले मे..कहे गे साथी मेरे शुकरीया--निकाला है हमे उन
उलझनो से,जो नासूर बनी थी हमारी राहो मे..अब तो रूहे-दिल से नवाजे गे आप को...
कबूल कीजिए हमारा..शुकरीया शुकरीया--
कही ना थी..पर साथ देने के लिए शुकरीया--पुुरानी यादो को जेहन मेे समेटेे रूके थेेे वही.
आप ने ठाला जो हमे आज के उजाले मे..कहे गे साथी मेरे शुकरीया--निकाला है हमे उन
उलझनो से,जो नासूर बनी थी हमारी राहो मे..अब तो रूहे-दिल से नवाजे गे आप को...
कबूल कीजिए हमारा..शुकरीया शुकरीया--