दरद जो आॅखो से बहा,उतरा सीधा दिल मे तेरे--जखम जो मिला जमाने से,हुआ गहरा
सीने मे तेरे--जुडे हैै तार जब रूहो के..मिले है दरद जब दोनो के..खाक की है जिॅदगीया
जब जमाने ने--फिर रजिॅशो का यह मातम कैसा..कशमकश का यह सिलसिला कैसा--
आ भिगो दे यह गम सारे मुहबबत मे..कि यह रूहे पयार ही तो हैै जो सिमटा है सीधा
ठीक दिल मे तेरे--
सीने मे तेरे--जुडे हैै तार जब रूहो के..मिले है दरद जब दोनो के..खाक की है जिॅदगीया
जब जमाने ने--फिर रजिॅशो का यह मातम कैसा..कशमकश का यह सिलसिला कैसा--
आ भिगो दे यह गम सारे मुहबबत मे..कि यह रूहे पयार ही तो हैै जो सिमटा है सीधा
ठीक दिल मे तेरे--