दिल मेरा कोई खिलौना तो नही,जो हर दफा पैरो के नीचेे कुचलते जाओ गे--शीशे की
तरह उजला जो रहा मन,उसे कितनी बार सताओ गे--भूल तो सब से हो जाती है,गुनाहो
का बोझ समझ कब तक ठुकराओ गे--जमाने की रूसवाईयो से बार बार,इन जखमो को
आखिर कयू कब तक कुरेदते जाओ गे--कब तक---
तरह उजला जो रहा मन,उसे कितनी बार सताओ गे--भूल तो सब से हो जाती है,गुनाहो
का बोझ समझ कब तक ठुकराओ गे--जमाने की रूसवाईयो से बार बार,इन जखमो को
आखिर कयू कब तक कुरेदते जाओ गे--कब तक---